आज कल चर्चा जो हो पर हकीकत है की लोग परेसान है
दिन हो या रात हर वक़्त परेशानी रहती है की हमारे आस पास क्या हो रहा है
फिर भी चर्चा करे तो लगता है की कही न कही
लोगो की संवेदनहीनता बढ़ते ही जा रहा है
कारण ठीक से पता नहीं लेकिन लगता है की
लोग इस तरह परेसान है की दुसरे से मतलब रखना ही छोड़ दिया है
अब हालत है की लोग किसी के दुःख से मतलब नहीं रखते
...............................................................
अब मेरा मानना है की लोग कितना दुखी हो
दुसरे के लिए भी समय निकालना चाहिए
सोच रखना चाहिए की किसी दुखी के लिए कुछ किया जाये
दिन हो या रात हर वक़्त परेशानी रहती है की हमारे आस पास क्या हो रहा है
फिर भी चर्चा करे तो लगता है की कही न कही
लोगो की संवेदनहीनता बढ़ते ही जा रहा है
कारण ठीक से पता नहीं लेकिन लगता है की
लोग इस तरह परेसान है की दुसरे से मतलब रखना ही छोड़ दिया है
अब हालत है की लोग किसी के दुःख से मतलब नहीं रखते
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अब मेरा मानना है की लोग कितना दुखी हो
दुसरे के लिए भी समय निकालना चाहिए
सोच रखना चाहिए की किसी दुखी के लिए कुछ किया जाये